माँ ममता की खान
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माँ ममता की खान
गागर अमृत रस भरी,माँ ममता की खान
थाह खोजते थक गए,सच मानो इन्सान
माथा जब माॅ चूमती,होऔलाद बिभोर
पुलकित तन मन नाचता,जैसे वनमें मोर
सहस्त्र किरन कीरोशनी,माँ चौदहवीं चाँद
घोर अमावस रजनि का,तार तार उन्माद
दुख घरमें जब घुस गया, देखी सुबह न शाम
अम्मा ने झट कर दिया,उसका काम तमाम
चाल रावणी चल पड़ा, जब गुदड़ी का लाल
तब भी तो माँ चूमती,लाल बाल का भाल
मंदिर के भगवान सा, माँ मन परम उदार
बिन मांगे संतान को, नित बाटे उपहार
गंगा जमुना नर्मदा, माँ पंचनद नीर
जहाँ घाव देखे हरे,हरती उनकी पीर
Dedicated to
,सभी बाल साहित्य प्रेमियों को
Dedication Summary
माँ की
म हिमालय का गुण गान