माँ!
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दिल में जो होता हैं
मैं तुम्हें कहा बता पाता हुँ
तुझे कितना चाहता हुँ
ये कहा जता पाता हुँ
माँ! तु क्या हैं मेरे लिए
मैं तुम्हें कहा समझा पाता हूं
पीट के मुझे
चुप कराती तु हैं
मैं रूठता हुँ
तो मनाती भी तु हैं
चोट अगर मुझे लगती हैं
तो रोती भी तु हैं
बात मेरे दिल की जानती भी बस तु हैं
माँ! तु ही मेरी मंदिर हैं मस्ज़िद भी मेरी तु हैं
-आयुष
Dedicated to
TO ALL MOTHERS