मै वक्त हूं ..||
0मैं वक्त हूं खामोशी से निकल जाता हूं ,
कुछ तो संदेशा सबको दे जाता हूं |
अपनी रफ्तार से मै चलता हूं,
सबसे सदा मैं एक ही बात कहता हूं |
ऐ मुसाफिर बढा़ ले तू अपनी रफ्तार मेरे जैसे ,
फिर देख तुझे मंजिल नही मिलती कैसे|
मै वक्त हूं अपना वक्त जाया नही करता ,
कभी किसी को सताया नही करता |
ऐ बंदे शायद तुझे पता नही ,
मै तेरा साया बनकर तेरे साथ चलता हूं |
तेरी मेहनत जहां ज्यादा है,
वो देखकर मै तेरे लिए खुद को बदलता हूं |
शिकायत तो बहुतों को है हमसे ,
मेरा कोई कसूर नही कसम से ,|
मुझे प्रकृत के बनाये नियमों पर चलना पड़ता है,
मुझे इस जहां के लिए खुद को बदलना पड़ता है |
किसी एक के बारे में मै सोच नही सकता ,
क्यों कि हर जीव के बारे में सोचना पड़ता है | |
Written by ..
शिवेन्द्र सिंह |