मानव हो मानव रहो
0१:इंसान इंसान ना रहा
यमराज बनते जा रहा
यमलोक भी शरमा रहा
भगवान भी घबरा रहा
अब क्या करूँ इंसान का
मेरा पद भी संभाल रहा!
२:वो दिन भी अजीब थे
नग्न वेश में, इंसान थे
काल भी पाषाण थे
पत्थर भी भगवान थे!
३:अब दिन वो गुज़र गया
मौसम वो बदल गया
हाथी मेरे साथी...... कंबख्त
वो गीत भी लज़ा गया!
४:मानव तो वही है,
बस रूपांतरण हो गया!
शूट बूट में वो
अब दानव हो गया!
५:परिवर्तन हो गया
युग वो बदल गया
गीता के पाठ का
स्मरण हो गया!
परिवर्तन,संसार का नियम है!
६:इंसान इंसान ना रहा
यमराज बनते जा रहा
यमलोक भी शरमा रहा
भगवान भी घबरा रहा
अब क्या करूँ इंसान का
मेरा पद भी संभाल रहा!
७:भगवान लगा रहा गुहार!
हे मानव !मुझे बख्श दो,
मेरे पद की प्रतिष्ठा,
कदाचित् ना कलंकित करो!
८:मानव हो मानव रहो।
दानव ना बनो!
एक करोना, सह ना सके।
कंस तो ना बनो!
Created by:_
PARMANAND ROY
ANDHARATHARHI
MADHUBANI
4JUNE, 2020.