माता- पिता के दरवाज़े
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असफलता जीवन के किसी पन्ने पर अंकित हो
सपना सुनहरा कोई टूट कर बिखर जाए
नैराश्य के घोर अंधेरों में न खो जाना
सपने नए बुन लेने की हिम्मत रखना |
गिर कर उठ जाओगे, संभल कदम बढ़ा पाओगे
इस बात का हमें पूरा यक़ीन है
फिर भी, अकेले राह न सूझती हो
हमारी सख्ती को अपनी संकोच न बनने देना |
यह सच है, उम्मीदें तुमसे ही हैं
परन्तु आँसू जो तुम्हारी आँखों से छलक आते हैं
हमारे ह्रदय को गहराई से बेध जाते हैं
तुमसे कहीं ज्यादा हमें तकलीफ़ दे जाते हैं |
किसी भी मोड़ पर खुद को अकेला न करना
याद रखना, तुम हमारे लिए सब - कुछ हो
साथ मिल कर राह नई ढूंढ चल पड़ेंगें
माता - पिता के दरवाज़े हमेशा खुले हैं, बेटा !
माता पिता को समर्पित बहुत ही भावपूर्ण एवं हृदय स्पर्शी
बच्चों के लिए भी प्रेरणा दायक एवं मार्गदर्शक कविता
आपको बहुत बहुत बधाइयां.