खोये पल
0कहाँ से लाऊँ ढूंढ कर के, वो खोये पल। लगता कोई सपना, देखा हो बीते कल। 'अपनी ऑंखें बंद कर लो' ये बोलना, 'हाँ, अब खोलो' कहके, मुट्ठी खोलना। गर्मियों की बर्फ सी, वो गए अब पिघल। कहाँ से लाऊँ ढूंढ कर के, वो खोये पल। बाँहों में ब
कहाँ से लाऊँ ढूंढ कर के, वो खोये पल। लगता कोई सपना, देखा हो बीते कल। 'अपनी ऑंखें बंद कर लो' ये बोलना, 'हाँ, अब खोलो' कहके, मुट्ठी खोलना। गर्मियों की बर्फ सी, वो गए अब पिघल। कहाँ से लाऊँ ढूंढ कर के, वो खोये पल। बाँहों में ब
यादों की किताबों का भारी भरकम बस्ते टेड़ी खीर सबको समेटना चलते-चलते साथ जो बोले ओ मेरे कवि मना मत करना जो बन गईं इतिहास !
Meri khamosh aankhe use meri tanhai ka ehsaas kara jati.... Kash use gale se lagane ki meri adhuri khawaish puri ho pati.... meri dhadkane unki banho me is dooniya se bekhof ho jati Kash unki god me meri udasi aapne aap ko bhool jati Samet leti wo mujhe apni aagosh me mujh par hote sitam dekh kar Kash unki muskurat meri rooh par malhum ban jati Meri khamosh aankhe use meri tanhai ka ehsaas kara jati.... Kash use gale se lagane ki meri adhuri khawaish puri ho pati.... Zindgi bhar na sahi kuch kadam wo mere sath chal pati Kash wo ek pal ke liy bh
मन की डोर ना जाने कैसे जुड़ती है मन की डोर , ना आरंभ ना अंत का शोर , खींची जानी है किसी अजनबी से अपने की और , कुछ नाजुक सी कुछ मजबूत सी ये डोर !!! तोले तराजू में अपनी खुशी और उसके अरमान , एक सिरा हाथ में आए तो पाए जहान , अपनी
हवाओं के स्पर्श से खिड़की के पर्दे का हिलना याद दिलाता हैं तुम्हारा चुप के से आना सूरज की पहली किरण का मुझ को छूना यार दिलाता हैं तुम्हारा मेरे माथे को चूमना बीन बात के आधी रात में मोहल्ले में शोर होना याद दिलाता ह
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