मेरी इक फ़रियाद है।
0अपनों ने समझ लिया हमको बेकार है।
मेरे वजूद पर अबना किसी को ऐतबार है।।
क्या करूं कोई देता ना हमको काम है।
जानने वालों में मेरा नाम बड़ा बदनाम है।।
किसी भी तरह मेरी जिंदगी सुधार दे।
मेरे खुदा तुझसे यही मेरी इक फरियाद है।।
जहन तो मिला हमे बड़ा असरदार है।
पर बुरी आदतों से मेरी जिंदगी खराब है।।
यूं तो बातें मेरी होती बड़ी लाजवाब है।
पर ख्वाहिशों ने किया मुझको बर्बाद है।।
चल ताज चलते हैं किसी श्मशान में।
जहां मिलता है हर किसी को आराम है।।
शेरो शायरी पे कुछ ना मिलता है लिखने से।
आदमी उसमें केवल होता और भी बर्बाद है।।
आ ताज फिर से करते हैं मेहनत से काम।
शायद मिल जाए खो गई है जो पहचान है।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ