मैं बिहार हूं
0हां मुझे गर्व है, मैं बिहार हू बुद्ध का पावन धरा हूं मैं अशोक का पुकार हूं चाणक्य का नीति हूं मैं विक्रमशिला ज्ञान भण्डार हूं राजेन्द्र का सोच हूं मैं प्रथम राष्ट्रपति आधार हूं हां मुझे गर्व है ,मैं बिहार हूं । दि
हां मुझे गर्व है, मैं बिहार हू बुद्ध का पावन धरा हूं मैं अशोक का पुकार हूं चाणक्य का नीति हूं मैं विक्रमशिला ज्ञान भण्डार हूं राजेन्द्र का सोच हूं मैं प्रथम राष्ट्रपति आधार हूं हां मुझे गर्व है ,मैं बिहार हूं । दि
खुशियों के पल होते बहुत अनमोल, पर बनते हैं ये हम से ही तो रोज। बांटकर देखो खुशियां हो जायेंगी भरपूर, बस समेट लो इन्हें इस तरह कि, न जाएं ये अब हमसे दूर। खुशियां रोज देती दस्तक हमारे द्वार, न करें बातों को तोलमोल कर इ
दिया जलाया था हमने चार दिन की ज़िंदगी है, चिंताओं ने घेरा है। गम का अँधेरा है, सन्न सन्न हवा चल रही है। जलाया था हमने दिया, हवा के झोंके से बुझ गया। अंधियारी रात में काँप उठे हैं, आशा का दीप जला रक्खा है। सुबह आशा का है
कोरोना बस अब तू जा, नहीं सहा जाता तेरा यहां रहना... बुजुर्गो की छांव के बिना कैसा होगा बचपन, वो मां बाप के बिना कैसा होगा पालन पोषण कोरोना बस तू जा... जो दूर नहीं रह पाते थे एक दूसरे को देखे बिना कुछ दिन, वो विदा हो रहे दु
देखो किस ओर चला इंसान अपनों को छोड़ हो गया अनजान ना वो खुशियां ना वो अरमान सब देते यहां अपना अपना ज्ञान कहां गए वो घर जो बन गए अब मकान ना बच्चों की किलकारियां, ना वो खेत खलिहान देखो किस ओर चला इंसान अपनों को छोड़ हो
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