मौत का सन्नाटा है! ********************* 1.हर तरफ मौत का मंजर है। किधर जाएं यारों? जिंदगी परेशान है इधर या उधर जाएँ यारों! हर तरफ मौत का मंजर है किधर जाएं यारों? 2. हर गली, कुचे से निकलता है ,जनाज़ा यारों! ना अपनो का कंधा ही किस्मत मे ल
मैंने कोरोना को इतिहास बदलते देखा है! राजनीतिक कुत्तों को साथ भौंकते देखा है!! सोचा था मैंने, मौन रहकर विरोध करना है! लेकिन उससे अच्छा आत्महत्या करना है!! ट्रेन बंदकर साईकिल, स्कूटर से दौड़ाया है! रैलियों में हजारो
हमारे पूजनीय मूर्तियां तोड़ते हो, अराध्य पर भद्दे टिप्पणियां करते हो, भारत विरोधियों से जाकर मिलते हो, टुकड़े - टुकड़े करने की बात करते हो, और फिर कहते हो हम असहिष्णु हो गए हैं! धर्म के नाम पर देश जलाते हो, बात - बात प
कहां डाले झूला बाबा, ना निमिया ,ना अम्वा , घर के चौबारों पर , बस ऊँचे ऊँचे खम्बवा !! कहाँ डालें झूला बाबा, ना महुआ , ना सेमर , बरखा की दहरी चढ़े, धूप के तेवर !! कहाँ डाले झूला बाबा , ना मल्हरवा ,ना कजरी, सावन वाली रतियाँ में , ब