Chain Ki Saans
0चैन की साँस
सांस चल रही
अंदर बाहर बाहर अंदर
आ जा रही
जीवित रख रही
सपना नहीं जिंदा हक़ीक़त
सांस का आना जाना
हर पल ज़िंदगी घट रही
दुनिया में सपने दिखा रही
सपनों में ही फंसे
सपनों में ही खो जाते
जो भी सपना देख लिया
उसे सच मान लिया
सच्चाई भरी पड़ी भुला दिया
सारी ज़िंदगी इन्हीं सपनों में गुज़ार दी
सपना दिन में देख लेते
पूरा करने जुट जाते
हैरान न होते सच हो जाता
नींद के सपने भूल जाते
ज़िंदगी की हक़ीक़तों से न डरते
भिड़ जाते सच्चाई से
उजाला तिलमिला उठता
दौड़ कदम चूम लेता
आनंद कर तुम्हें आनंद में रहकर
आनंद से ही जीने का सलीका
नींद के सपनों से परे
चैन की साँसो को सजा लेते
अनुज भार्गव
super ghatiya.