POEM :- तेरा ही मां POET :- N.K.M. [ +916377844869 ] LYRICS :- :::::----- INTRO PART ::::::---- इस दुनिया के दर्शन हुए पहला दर्शन था तेरा ही मां , गलतियों में भी हम ही हुए, छुपने का आंचल था तेरा ही मां, ******************** :::::----- PRE-CHORUS PART ::::::---- मां को पता है , बच्चा गलत मेरा है, हाथ मेरे ऊप
सुबह से देख रहा हूं कि मां को लेकर तमाम सोशल साइट्स पर मां की कृति को उजागर किया जा रहा है क्योंकि आज मातृ दिवस है और मैं भी यूं ही मां के बारे में कुछ सोच रहा था कीमा मैं तुझे कैसे आज तेरे श्रद्धा में कुछ समर्पित कर
Happy mother's Day ! माँ माँ, तुम जननी स्वर्ग सुख हो! गंगा से भी पावन हो! रक्त स्रोत हो; संतानो का, तुम ही जीवन सागर हो! समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत देव प्रिय रहा है! किंतु, परिवार मंथन से प्राप्त विष, सहर्ष तुमने स्वीकारा है! तुम ग
दिन भर हमारे लिए ख़ुद को निढाल करती हो, मां, तुम भी ना, कमाल करती हो स्कूल ना जाने के लिए मेरे बहाने झेलना, पापा के लिए सुबह की चाय उड़ेलना एक ही वक्त़ में सबको कैसे ख़ुश करती हो मां, तुम भी ना, कमाल करती हो। _ अच्छा दिख
दिल में जो होता हैं मैं तुम्हें कहा बता पाता हुँ तुझे कितना चाहता हुँ ये कहा जता पाता हुँ माँ! तु क्या हैं मेरे लिए मैं तुम्हें कहा समझा पाता हूं पीट के मुझे चुप कराती तु हैं मैं रूठता हुँ तो मनाती भी तु हैं चोट अगर