-अश्रु बहाना छोड़ दिया।।
0मुश्किलों से अब हमनें घबराना छोड़ दिया, छोटी छोटी बातों पर अश्रु बहाना छोड़ दिया। उम्मीद का दामन पकड़ा है जब से हमनें, निराशा ने इस दिल का आशियाना छोड़ दिया। आस की ज्योति जलाई अपने मन-मंदिर में मैंने अंधेरे ने बात-बात
मुश्किलों से अब हमनें घबराना छोड़ दिया, छोटी छोटी बातों पर अश्रु बहाना छोड़ दिया। उम्मीद का दामन पकड़ा है जब से हमनें, निराशा ने इस दिल का आशियाना छोड़ दिया। आस की ज्योति जलाई अपने मन-मंदिर में मैंने अंधेरे ने बात-बात
यह शाम भी ढल गई इस उम्मीद के साथ की सबकी ज़िंदगी में एक नया सवेरा हो । नए सपने हो कुछ जो नए भी मिलें वो अपने हो नई मंजिल हो और हर चीज को पाने के लिए चाहत हो । तुम्हे इस नए सवेरे यह एहसास हो की यह जिंदगी बहुत खूबसूरत है ।
इस अंधियारी रात के बाद सुबह फिर होगी, सब्र करो, हिम्मत रखो सुबह फिर होगी !! फिर लगेंगे खुशियों के मेले, दौड़ेंगी फिर से ये ठहरी हुई सड़कें, फिर से घूमेंगे हम-तुम, लिए हाथों में हाथ अपनी पसंद के शहरों में !! फिर से करेंगे इ
नमस्ते एहसास अपनेपन का ग्रुप परिवार। मैं सुमित अपनी एक और कविता प्रस्तुत कर रहा हूं। आशा करता हूं कि आप सभी को ये कविता बहुत पसंद आयेगी। कृप्या करके आप सभी अपना प्यार और आशीर्वाद देकर कृतार्थ करें। कविता: कामया
MAT KOS APNI KISMAT KO Oo rahi tu bas chlte ja Gir kar bas uthte ja Mana rasta hai kthin Par tere erade hai mjbut Oo rahi tu bas chlte ja Mat kos apni kismat ko Aasani se jo mil jaye Us chij ka luft kaha Mana tera waqt hai khrab Par erade tere hai mjbut Mat dar tu un kthinaiyo se Oo rahi tu bas chlte ja Mat kos apni kismat ko Kismat ki chinta chhor de Tu to bas karm kar Ak din tu khud dekhega Sflta tere kadam chumegi Oo rahi tu bas chlte ja Mat kos apni kismat ko Kamjoriyo ko apni takt bna Hosle apni buland rkh tu Aaj jo tujhse muh ferte hai Ka
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