विश्वव्यापी विज्ञान वेला
0विज्ञान ही इक विज्ञान है जो प्रकृति पर करता प्रहार है इसका उपयोग करना भारी बन गया इक विनाशकारी क्या-क्या मानव को संसाधन देकर प्रकृति को अस्तित्व विहीन किया मानव ने भी विज्ञान संसाधन में लिप्त होकर प्रकृति के अत
विज्ञान ही इक विज्ञान है जो प्रकृति पर करता प्रहार है इसका उपयोग करना भारी बन गया इक विनाशकारी क्या-क्या मानव को संसाधन देकर प्रकृति को अस्तित्व विहीन किया मानव ने भी विज्ञान संसाधन में लिप्त होकर प्रकृति के अत
ये समय की कैसी आहट है, हर ओर बस घबराहट है। हवा में जहर का कोई कतरा है, सांस लेने मे भी बहुत खतरा है। हर तरफ इक अजीब सी खामोशी है , चुप हैं सब और थोड़ी सरगोशी है। लोग हर उम्र के रोज़ मर रहे, जो ज़िंदा हैं खौफ मे हैं और डर र
एक त्रासदी एक बीमारी जिससे भयभीत दुनिया सारी जिसका नाम है Corona महामारी इसकी नहीं है किसी से नाते रिश्तेदारी अगर हमने सावधानी नहीं बरती तो आज है मेरी तो कल तुम्हारी बारी, घरों से उठती चत्कारें श्मशानों से उठता धुं
एहि महीना में वियाह रहल और मन में कल्पना अथाह रहल। चढ़ि जयति डोली जल्दी तेल्हई के बस इहे चाह रहल। आइल कोरोना सब चौपट कइले सगरो सपना अब टूट गइल, सोच के ई पगलाइल तेल्हई अंखिया में धारा के प्रवाह रहल। चढ़ि जयति डोली जल्
ऐ करोना यह तूने क्या कर दिया कल तक आजाद था जो इंसान इस दुनिया का, आज पल भर में तूने घरों में कैद कर दिया , ऐ करोना यह तूने क्या कर दिया । महामारी बन कर तू ने पूरी दुनिया को डराया, खुद को भगवान समझने वाले देशों को घुटनों
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