ऐ करोना यह तूने क्या कर दिया कल तक आजाद था जो इंसान इस दुनिया का, आज पल भर में तूने घरों में कैद कर दिया , ऐ करोना यह तूने क्या कर दिया । महामारी बन कर तू ने पूरी दुनिया को डराया, खुद को भगवान समझने वाले देशों को घुटनों
"ख़ौफ़ और ज़िंदगी" ये अलस्सुबह से ही क्यों,शामें ढलने लगी हैं, ख़ौफ़ में अब,रूहें भी लिबास बदलने लगी हैं आकर सड़कों पर, अब सफर जम गया है, रास्ते थम गए हैं, अब मंजिलें चलने लगी हैं। मानो ठहर गया है वक़्त भी अपने ही घर में, फिजाए
अमल कर लो या क़लम कर लो कहीं पर क़ैद कर लो ख़ुद को तुम अपने ज़मी पर हर वक़्त विवादस्पद नहीं होता स्वयंभू ताख़ पर रख दो धरम के रूढ़ियों को । हर नैन अश्रु में ख़ुद को डुबो रही है ऐ मनुष्य ! तेरी खंडित मनुष्यता हो रही है ये वक़्त क
नाच रही है मौत सामने, मचा है सारे जग में शोर | कोरोना से लडती दुनिया, देख रही भारत की ओर || सारे जग को उम्मीदें हैं, भारत इससे जीतेगा | रणनीति अपनाएगा जब, शत्रु घुटने टेकेगा | दुहरा है दायित्व हमारा, सबकी जान बचाना है | खर
धरती आँसू टपकाती है | आज ये कैसा कठिन समय है, सब पर ही आफत आती है | क्या होगा इन संतानों का, धरती आँसू टपकाती है || कैसी ये मनहूस घड़ी है | मौत सामने आन खड़ी है | सब पर ख़तरा मंडराता है | कोई न इससे बच पाता है | बिलख बिलख कर बच्चे