नववर्ष की अभिलाषा
1नववर्ष की अभिलाषा
हो चमन के फूल गुलशन में महकते ही रहो,
हो डगर कितनी भी मुश्किल आगे बढ़ते ही रहो....
तेज झोकों से कहीं न टूट जाये डालियाँ,
नफ़रतों से जल न जाये रिश्तों की फुलवारियाँ,
बन विवेकानंद दुनिया में दमकते ही रहो....
खुशियों का चंदा बनो गम की अंधेरी रात में,
जीवन की कश्ती किसी की ड़ुबे न मझधार में,
बन के तारा सबकी आँखों में चमकते ही रहो.....
धरती से अंबर तलक हो गान वंदे मातरम,
शान वंदे मातरम अभिमान वंदे मातरम ,
रंग दे बसंती चोला माई गुनगुनाते ही रहो.......
सत्यदेव विश्वकर्मा