नई उमंगे
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प्रकृति ने ली फ़िर से अंगडाई,
धरती पर बहार लौट आई।
हवाओं में अमृत घुल गया,
मीठी -सी बौछार से विष धुल गया।
नदियों को नया है जीवन मिला,
सागर का भी मन फिर से खिला।
पक्षी सुरीली-सी धुन में गाने लगें,
पशु सड़कों पर बेखौफ़ नजर आने लगें।
आदमी ने खौफ से अपने को
पिंजरे में बन्द कर लिया,
नदियों,पहाडों को जीने का मौक़ा दिया।
शुक्रिया है भगवान् तूने यह
नजारा दिखाया,
धरती पर स्वर्ग लौट आया।
रेनू कपूर