निंदिया (लौरी) / Lullaby
0आजा री ओ निंदिया रानी
मेरी बिटिया सुला सुला जा !
देख पालने में सोई है
मेरी बिटिया प्यारी,
यह मेरी आँखों की पुतली
घर की राजदुलारी।
कहीं बीच यह जग ना जाए
आ धीरे - से झुला झुला जा।
यह आँगन की पावन तुलसी
केसर की है क्यारी,
मेरे सूने मन में महकी
यह बनकर फुलवारी।
इसके सपनों में खुशियों को
जल्दी आकर घुला घुला जा।
चन्दा जैसे इसके मुख पर
आया झलक पसीना,
गर्मी ने लगता बिटिया का
चैन सभी है छीना।
बैठ साथ में मेरे तू भी
थोड़ा पंखा डुला डुला जा।
कल को जब मेरी बिटिया की
शादी हो जाएगी,
दूर उड़ेगी चिड़िया - सी यह
याद बहुत आएगी।
तब तुझसे ही बोलूँगी मैं
जा री ! उसको बुला बुला जा।
चाहे बिटिया रहे कहीं भी
सुख - सपनों में झूले,
खुशियों से तारों - सी दमके
फूलों - सी वह फूले।
तू भी रहना पास उसी के
चाहे मुझको भुला भुला जा।
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- सुरेश चन्द्र "सर्वहारा"