ऊब सा गया हूं मै इस ज़िन्दगी से
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ऊब सा गया हूं मै इस ज़िन्दगी से,
फिर से आ गया हूं मै उसी कसमस में,
जाऊं भी तो जाऊं कहां अब,
हर वक़्त मुश्किल ही क्यों पाऊ मैं,
हर बार इतनी परीक्षा लेता है क्यों तू,
पास होऊ कैसे मेरी शक्ति छीन लेता है तू,
मेरे सब सपने क्यों टूटने देता है तू,
क्यों मुझे मंजिल तक पहुंचने नहीं देता तू
ये मेरे खुदा अब तू ही बता करू तो करू मै क्या?
मत कर छीनने का नया सिलसिला शुरू,
बस कर अब और मै ना सह पाऊंगा,
सच कहता हूं जीते जी मर जाऊंगा।
नहीं देगा क्या तू मेरा साथ
तुझसे ना रखु कोई भी आस
खत्म कर दी हमारा रिश्ता आज
टूट जाने दू मेरा जो है तुझपर विश्वास
कहते हैं सब जो तू करता है सब अच्छा करता है तू
भला इसमें क्या अच्छा मेरा है जरा बता तू,
रोक सकता तो रोक के बचा लेता तू,
भरोसा उठे इससे पहले फिर से विश्वास कमा लेता तू
सुना है कि तेरे घर में देर है अंधेर नहीं,
पर इस देर का कारण अभी तक समझ ना पाया हूं,
कभी कभी अपनों की हर तकलीफ का कारण बनता आया हूं,
इसी दुख दर्द को हमेशा दिल में सहता आया हूं....
अब तुझसे कुछ ना कहने वाला
ना ही और अपने साथ बुरा सहने वाला
गलती क्या की थी चल बता मुझको
जो मेरे साथ ऐसा करना पड़ा तुझको
गलती की है तो साजा दे गलती की मेरी
अपनों को दुख, नहीं जीना ऐसी ज़िन्दगी दी हुई तेरी
एक ही रास्ता है पास मेरे
मुझे पास बुला ले अपने..….
- -- अरमान सिंह बौद्ध
