पहना दो मन को हिम्मत का गहना /pahena do mann ko himmat ka gahena
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पहना दो मन को हिम्मत का गहना
जब जब मन उलझे सवालों में और न माने किसीका कहना,
शांति भरो शब्दो में प्यार से, पहना दो मन को हिम्मत का गहना।
आंसू आखो से जाये छलक जब पास कोई लगे न अपना,
खोल दो द्वार सब दिल के, पहना दो मन को हिम्मत का गहना।
भर आये जब दिल प्यार से भी न माने मन ऐसा हाल किसे बयां करना।,
किसी के दूर जाने का डर लगे तो पहना दो मन को हिम्म्त का गहना।
चिंता करते कल की आज को भी भूल जाये दिल जीना,
पल भर साथ है जिंदगी बस मन को पहना दो हिम्मत का गहना।
सारी खुशिया भरी है एक नजर में सोच न चाहे दूर होना ,
न ढूंढ बाहर ऐसे हसींन छिपे मन को पहना दो हिम्मत का गहना।
पहना दो गहना ऐसा, जो विचारों को मन के दिखा दे सही आईना ,
राह जो दिखे न अँधेरे में तो पहना दो मन को हिम्मत का गहना।
मन को लगे बस वही है जिंदगी न आये उसके बिन जब जीना,
रोक लो उलझन में फसने से पहना दो मन को हिम्मत का गहना।
बातों की तलवार चले जब मुश्किल हो जाये दिल के दर्द सहना,
बस में करलो दिल की डोर को पहना दो मन को हिम्मत का गहना।
Shalu…L.
Dedicated to
my self
Dedication Summary
only you and your own thing can understand your self better .
Bahut accha likha hai in shabdo ke bahut zarurat hai jeevan me ab pehna dege ham apne vicharo ko himmat ka ghena.