Maaa
0यूँ ही वो महान नहीं बना बरसो उसने भी पीड़ा सही दलन हुआ, वलन पड़ा तब हुआ हिमालय खड़ा। सबको मोहता वो पुष्प यूँ ही नहीं जमुहाता उठ पड़ा भले ठाट बाट मे बना ठना आज रंग रूप का प्रसंग गाता घूमता हो पर उसका संदर्भ यूँ ही प्र
यूँ ही वो महान नहीं बना बरसो उसने भी पीड़ा सही दलन हुआ, वलन पड़ा तब हुआ हिमालय खड़ा। सबको मोहता वो पुष्प यूँ ही नहीं जमुहाता उठ पड़ा भले ठाट बाट मे बना ठना आज रंग रूप का प्रसंग गाता घूमता हो पर उसका संदर्भ यूँ ही प्र
जिन्हे अलार्म नहीं, ज़िम्मेदारियाँ जगाएं , जो कठिन परिस्तिथियों से जूझकर आजीविका कमाएं, जो अपने हाथों से पकड़कर बचपन में चलना सिखाएं, अपने पास बिठाकर जो खाना खाने का सलीका बतलायें, जो समाज में रहना , जीना और संघर्ष
ऐ ज़िन्दगी ज़रा धीरे चल.. तेरे धीरे चलने से कुछ वक़्त में जुटा पाउँगा ... और खुद को काट काट कर सिरजा मुझको जिन्होंने कुछ उनका ऋण (क़र्ज़) चूका पाउँगा । कहने को महज़ एक अंश हु उनका, पर यह अंश उन्हें खुद से भी प्यारा है ... यह अंश भ
एक पित कमी क्या होती है ,, ये उस बेटी से पूछो जिसने जन्म लिया और अपने पिता को खो दिया || बिना पिता के केसा होता है जीवन शायद ये बेटी से ज्यादा कोई समझ नहीं पायेगा ,, पिता जितना प्यार शायद ही एक बेटी से कोई कर पायेगा || बिन
Bachapan ki nadani me Na jani kabhi ye bath Mata pita toh hote hai Har chaya ke sath Girte hi wo uta lete Chot kabhi na lagne dete Anbhav se apne wo Hamko yu samjhaya karte Na jane kyu phir bhi ham Unse yu hi lada karte Bin soche bus kuch bhi Ham yu bola karte Aaj hota yah aabhas Wo din the kuch khass Aasu unse chupa na pate Bin bole sab samjh jate Bade hokar samjh aaya Chot lagi koi na aaya Bol kar bhi dukh bataya Phir bhi koi samjh na paya Aasu sabko lagta pani Dard me sabne hasi udai Kush hota ab iss par jamana Mami papa ab mujhe bulana Na l
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