परीक्षा
0POEM :- परीक्षा
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परीक्षा चल कर आ रही है,
घड़ी ये कैसी आ गई है,
क्या करुं क्या ना करुं,
परिस्थिति स्नान करा गई है,
सुबह उठूं मैं देखूं आंख,
सूज गई है रातों-रात,
उलझा रहा मैं सवालों में,
लड़कर गणित के साथ,
मन नहीं करता छोड़कर जाना बिस्तर,
पढ़ना भी जरूरी है पडे़ंगे पत्थर,
घरवालों ने बोला मार्क्स चाहिए 70,
बोझ लिए बैठा हूं इतना बड़ा सर पर,
मां भी जल्दी उठा करती ,
उसको भी नींद कैसे आती ,
मम्मी मुझको चाय चाहिए,
यह सुनने से पहले बन कर आती,
पढ़ा लिखा नहीं पूरे सालभर,
दोस्तों की नकल पर हूं अब निर्भर,
गुस्सा कर रही परीक्षा बर्बर,
अंकों में होगी उल्टी गड़बड़,
बेटा तेरे कितने आएंगे नंबर,
पूछे सवाल हर कोई घर पर,
बाहर चला जाता हूं इनसे बचकर,
परीक्षा मंडराती बनके मुझ पर अम्बर,
बेटा क्या कर रहा है,
सवाल बार-बार हो रहा है,
परीक्षा से डर लग रहा है,
दिल बुरे सपनों से गुजर रहा है,
बाहर जाऊं दिखती वो दुकान,
जहां दोस्तों के संग खाता पान,
करता सबके सामने अपना बखान,
परीक्षा सर पर आने को है तूफान,
नहीं पढ़ूं मैं विषय हिन्दी,
नहीं लगती क्योंकि इससे सर्दी,
मुश्किल लगता पहनना गणित की वर्दी,
नहीं पढ़ा इसे ये ही गलती मैंने कर दी ,
कैसे करुं मैं गुणा-भाग ,
गणित तो लगता मुझको नाग,
जलता हूं इसकी देख कर आग ,
कम नम्बरों का लगेगा दाग,
हंसी अब छीनी जा रही है,
जानें कम होती जा रही है,
दिमाग में 24 घंटे छा रही है,
परीक्षा की लहर उठे जा रही है,