Parivar(परिवार)
0एक शहर होता है यारों,
जिसमें बस्तियों का गुज़ारा होता है।
हर एक बस्ती की अपनी छोटी सी दुनिया होती है,
जिसमें परिवार रूपी सितारा होता है।
एक दूसरे के दिल में बसती है जान जिनकी,
ऐसे लोगों से रिश्तों का फुलवारा होता है।
कुछ लोग इन रिश्तों का साथ निभाकर,
घर को जन्नत बना देते हैं।
तो कुछ रिश्तों में ना जाने क्यों,
बँटवारा होता है।
हर रिश्ते की गहराई को,
हमें पहचानना होगा।
ग़म हो या खुशी,
एक दूसरे का साथ निभाना होगा।
कोई बात भी करे बँटवारे की,
तो उस माॅ की ममता को याद कर लेना।
क्योंकी समंदर ना कभी बँटा है,
और ना कभी बँटेगा।
लहरों को ही बँटकर आख़िर,
समंदर में मिल जाना होता है।