पुलवामा के शहीदों को
0जब थे गहरी नींद में ही तुम तब तक वो जा चुका था इस जग को छोङ उस नीले नभ में वो समा चुका था चीथङो की शक्ल में थी शहादत उसकी पूरा देश पढ़ रहा था इबादत उसकी किये वादे वो तोङ गया था रिश्ते नाते सब यही छोङ गया था गमगीन पिता र
जब थे गहरी नींद में ही तुम तब तक वो जा चुका था इस जग को छोङ उस नीले नभ में वो समा चुका था चीथङो की शक्ल में थी शहादत उसकी पूरा देश पढ़ रहा था इबादत उसकी किये वादे वो तोङ गया था रिश्ते नाते सब यही छोङ गया था गमगीन पिता र
गणतन्त्र - दिवस प्रात हो या रात चाहे निशि-दिन झंझावात माटी का तिलक सदा माथे पे लगाना तुम, माटी ही है गीता औ कुरान भगवान यही आन, बान, शान यही सबको बतलाना तुम। खेत हो या खलिहान हो ज़मीं या आसमान वंदे-मातरम का गीत सबको सु
शस्य श्यामला भारत भूमि (देश भक्ति गीत ) डॉ सुशील शर्मा आज शहीदों के जीवन को आओ मिल कर नमन करें। शस्य श्यामला भारत भूमि आओ इसको रतन करें। तिमिर गुलामी का झेला है अग्नि पथों से गुजर चुका। ज्योति जागरण नव प्रभात का सं
शस्यश्यामला माँ की धानी चूनर को शत-शत प्रणाम , हो गया बसंती रंग जिससे उस पावन आँचल को प्रणाम, माँ की खातिर कुर्बान हुये उन अमर शहीदों को प्रणाम, सुर,नर, मुनि,गन्धर्व,चराचर, दिग,दिगंत को है प्रणाम, माटी ही है अरमान मे
गीत (भारत तु जग से न्यारा) (तर्ज़- दिल में तुझे बिठा के) (2212 122 अंतरा 22×4 // 22×3) भारत तु जग से न्यारा, सब से तु है दुलारा, मस्तक तुझे झुकाएँ, तेरे ही गीत गाएँ।। सन सैंतालिस मास अगस्त था, तारिख पन्द्रह प्यारी, आज़ादी जब हमें मिली
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