Shiv hi shankara Shiv hi omkara Shiv hi rakshak Shiv hi vinashak Jai natraja jai vishdhara Nandi hai tumhre sathi Ganga tumhre kesh se behti Bhoot pisach hai tumhre sange Baghambar wastra tumhre ange Chandra tumhre sir pr viraje Sarp ko tum gale pr bithae Roop tumhre unnish hai Kabhi veerbhadra to kabhi ashutosh Devo ke tum dev kehlae Parvati sang ardhnareshwar kehlae Jai mritunjay jai mahakaala Jai kailashpati jai sadashiva
प्रभु मिलान की आस एक खाई के इस पार हूँ मैं, और उस पार है तू। आस लगाए बैठी हूँ मैं, कब आएगा तू। तेरे दीदार की प्यासी हूँ मैं, जाने कब प्रभु मिलना होगा। कब तक करूँ इंतज़ार, पर करना होगा। ना था एहसास मुझे कि , तुझे पाना इतना
न हवाई जहाज चल रहे ना चल रही कोई "मोटररिक्शा" हे भगवान....... ये तू कैसी ले रहा परीक्षा सरकार मांग रही जनता से "भिक्षा" की कुछ दिन घर में ही रहने की तुम लो "दीक्षा" हे भगवान....... ये तू कैसी ले रहा परीक्षा अपने ही मद में चूर थे
करोना से बचने के किये सारे पूर्वोपाय फ़िर भी हो गया संक्रमित बना असहाय नौन तेल लकड़ी कमाना बना बस बहाना चिड़िया चुग गई खेत अब क्या पछताना पूरे बदन में ऐसा ताप जैसे उठ रहे शोले कसमसा रहा अंग अंग लब कुछ ना बोले तड़पते फे
हक़ीर कीड़ा तो बना बस बहाना अफ़रातफ़री में यूँ घिरा ज़माना सर पर पड़ी मुसिबतों से है जाना ख़ालिक़ की हस्ती को सबने माना तेरे आगे इंसान लगे कितना बौना ढूंढ रहे ईलाज लुटाकर चांदी सोना मालिक तेरे बन्दे गाए तेरा तराना कर ले