गणतंत्र और किसान आंदोलन ***********************BY PARMANAND KUMAR 26.JAN, 2021 देश की आन- बान और शान पर ग्रहण क्यों है लग रहा ? लाल किले की प्राचीर पर चढ़कर, तिरंगे का क्यों अपमान किया ? हाय रे अभागा!भारत माँ ने पाला तुमको... इसलिए तूने भारत माँ का ही च
72 साल पहले घड़ा जो संविधान था, भारत के सर का ताज वह भारत का ईमान था, लाख गुनहगार छूट जाएं कोई बात नहीं, एक बेगुनाह सजा ना पाए यह जिसका फरमान था, आज उसी संविधान की धज्जियां उड़ते देखता हूं, भारत के कानून को भारत में टूट
जयहिंद जयहिंद जय माँ भारती , दे कसम वतन का है माँ पुकारती . है धन्य वो जवान जवानी जो कर दे निशार चढ़ रणकी वेदी अरिपर करता रहे वार माँ उस वीर को है पल पल दुलारती दे कसम वतन का है माँ पुकारती .... हो शहीद अमर बने कण-कण में अच
अमर वो उनकी बलीदानी याद रहे......। अमर वो उनकी बलीदानी याद रहे......। सालो से सालो तक न हो बात पुरानी, आजाद हीन्द का तीरन्गा रहे हमेशा उच्चा । खुशनसीब है हम जो ये तेरे जन्म हम लीये , यहा की मीट्टी की खुशबु, यहा की हवाये का अ
विजय पर्व गणतंत्र दिवस है नव भारत की नव पहचान, कोटि कोटि जनता ने पाया अपना निर्मित नया विधान। हुए सभी हम भारतवासी अपनी किस्मत के निर्माता, अंग्रेजी काले नियमों से मुक्त हो गई भारतमाता। बिना भेद के पाई सबने एक अनो