ऋतुराज की शान
2अनुपम है ऋतुराज की शान ,
हर्ष उल्लास का हो रहा भान ,
वीणा की मधुर तान से ,
वीणा वादिनी का हो रहा गुणगान ।।
अनुपम है ऋतुराज की शान,
प्रकृति कर रही बंसती स्नान
सरसों के पारितोषक से ,
धरणी का हो रहा सम्मान ।।
अनुपम है ऋतुराज की शान ,
पतझड़ के मिट गये निशान ,
उपवन पहने पीले परिधान,
कलियों कों हो रहा अभिमान ।।
अनुपम है ऋतुराज की शान ,
आई ऋतु सर्वश्रेष्ठ महान,
जन -जन का करने कल्याण ,
सबके चहरे पर बिखेंरने मुस्कान ।।
© अंकिता सिंह
Lucknow
@Madhu
Thank you so much.
Basant ritu par bahut sundar kavita ..