सावन
0मेघ गाये मल्हार बावरें ,
बरसे आज सावनवा !
खिली चांदनी मोरे उपवन ,
खिल गया आज मोरा मनवा !!
भ्रमर करें अट्टहास बावरें ,
पहुल झुलायें झुलनवा !
डोले बिजुरिया नथनी में सखी ,
खनके हरे कंगनवा !!
बो दी हरियाली प्रीत मेंहदी ने,
सुर्ख हुआ अंगनवा !
अब जो आयें मोरे पिया बावरें,
भीगे महुआ सा जीवनवा !!
©अंकिता सिंह,
लखनऊ , उत्तर प्रदेश
anks26.as@gmail.com
Dedicated to
Sawan
Dedication Summary
This poem is dedicated to beauty of sawan month.