शिफा था उसको पाना।
0क्या हुआ जो उसने हमको ना पहचाना। उसे होश ही ना था जब मैंने उसको था जाना।।1।। हम दिल से बड़े खुश है इसी बात से ही। उसके काम आ गया मेरा यूं दिल का लगाना।।2।। कोई शिकायत नहीं उससे वो अंजान है। अच्छा हो गया मुझसे शिफा था
क्या हुआ जो उसने हमको ना पहचाना। उसे होश ही ना था जब मैंने उसको था जाना।।1।। हम दिल से बड़े खुश है इसी बात से ही। उसके काम आ गया मेरा यूं दिल का लगाना।।2।। कोई शिकायत नहीं उससे वो अंजान है। अच्छा हो गया मुझसे शिफा था
हर एक कैदी गुनहगार तो नही हो सकता आज देखा एक साथ मैंने कई कैदियों को कितने कैदी मुझे बेगुनाह, लाचार भी लगे इतने कैदियों में कई मासूम चेहरे भी दिखे कोई तो मजबूरी इनकी भी रही होगी जो इनको गुनाह करना पड़ा इस उम्र में
शीर्षक अनाथ का "दर्द" अनाथ और बेसहारा उस मासूम का दर्द जो सड़क किनारे फुटपाथ पर जीवन जी रहा है खाना मांगू तो सबको,चोर नजर आता हूं। पैसे मांगू तो हरमखोर,नजर आता हु मांगू तो क्या मांगू, इस दुनिया से साहब। यहां तो हर कि
लौटकर आएंगे वह परिन्दें जो उड़कर गए है। बैठते कहाँ शजरो पे यूँ पत्ते भी ना रह गए है।।1।। सोचा कुछ दूर जाने पे वह पलट कर देखेगा। बेहिस वो ना पलटा है हम देखते ही रह गए हैं।।2।। महफ़िल में बुलाया था हमको ना पता था यह। वो ह
दिल तड़प कर रो रहा है। अब कोई अरमां ना हो रहा है।।1।। परिन्दें सारे यहाँ से उड़ गए है। यादों में बस बागों के निशां रह गए है।।2।। सारी दुनिया पर वैसे तो हुकूमत चल रही है। पर कभी कभी तुम्हारी कमी भी खल रही है।।3।। तितली ब
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