वादे से इरादे तक
0"जब मिले थे कभी ये इरादा हुआ हाथ में हाथ हो तब ये वादा हुआ उम्र के साथ सब स्वप्न ढलते गए कुछ पता ना चला खुद को छलते गए इस हकीकत में हम सबको खलते गए हैं मिले जख्म जो उनको मलते गए जख्म की कुछ खबर घाव ज्यादा हुआ हाथ में हा
"जब मिले थे कभी ये इरादा हुआ हाथ में हाथ हो तब ये वादा हुआ उम्र के साथ सब स्वप्न ढलते गए कुछ पता ना चला खुद को छलते गए इस हकीकत में हम सबको खलते गए हैं मिले जख्म जो उनको मलते गए जख्म की कुछ खबर घाव ज्यादा हुआ हाथ में हा
दर्द उठा जब सीने में। गाने सुनकर बहला लिया। दिल की बात जुबां में आए। अफसाने बना कर टाल दिया। कशमकश में अटकी सी मैं। अमावस की काली घटा छाई है। हर तरफ एक अजीब सा अंधेरा। हर तरफ एक सन्नाटा सा छाई है। उन गलियों से भी रु
इतना आसान नहीं होता कब्र की भुर भूरी मिट्टी से उठना और उठकर फिर से दुबक जाना! इतना आसान नहीं होता जिंदा ही गड़े जाने की कोफ्त को खामोशी से सहन कर जाना! इतना आसान नही होता षडयन्त्रों की भारी भरकम शिलाओं को ओढ़ कर निश्
कौन है अपना, कौन पराया, यह किसी को समझ न आया। बनकर अपना,जकड़ लिया मोहपाश में, फिर हौले से अपना असर दिखाया। लालच का कीड़ा पनप रहा था ऐसा, यकायक गलत राह पर कदम बढ़ाया। उसकी प्रीत बनी फिर एक छलावा, झूठ की ओट में खोखला उसे बन
वो दिन वो लम्हे गुजरते गये हम जिंदगी के साथ जीते गये कभी याद करता हूँ वो बीते पल तो लगता है कि वो अलविदा हो गये फुर्सत मिल जाये तो हो आऊं उस गली जहां पर हम रात दिन यूँ ही गुजारते गये हमे पता है कि उस गली का दीदार नहीं
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