माघ पूस की ठंड
0माघ पूस की ठंड हथकंडे अपना रही ,माघ पूस की ठंड पल पल तेवर बदलती, धरती रूप प्रचंड शीत लहर लहरा रही,पेले पल पल दंड धरा गगन सब कह रहे,शातिर बड़ी उदंड सूरज बेचारा छिपा ,नीची करके मूछॅ खोजो तो मिलती नही,शीत लहर की पूछॅ ठिठक
माघ पूस की ठंड हथकंडे अपना रही ,माघ पूस की ठंड पल पल तेवर बदलती, धरती रूप प्रचंड शीत लहर लहरा रही,पेले पल पल दंड धरा गगन सब कह रहे,शातिर बड़ी उदंड सूरज बेचारा छिपा ,नीची करके मूछॅ खोजो तो मिलती नही,शीत लहर की पूछॅ ठिठक
Eureka! it's Christmas time again! A time to reminisce about seasons past of pizzas hot, cup cakes, icing coated snacks, home-made lemonade, champagne and Santa's sacks of choicest toys, newly produced and recast. Eureka! laughter pervades the plain! for dazzling lights of astonishing colours exhibit rare heavenly multicolours for the yuletide's ambience of pomp and pageantry in every country tropical and wintry. Eureka! it's Santa's express train! A very pleasant holiday time indeed. When a dream becomes wonderland for a kid who takes a trip i
तपती धरती चुभती धूप। गर्मी का यह भीषण रूप। खेतों में पड़ गईं दरारें। प्यासे हैं पशु पक्षी सारे। खेत में बैठा हुआ किसान। सोच सोच के है हैरान। बिन पानी के फसल न होगी। सब जीवों को मुश्किल होगी। अन्न न होगा क्या खाएं
रिमझिम बारिश की फुहार, ठण्डी-ठण्डी हवाओं की बयार। हरे-भरे सब हुए बाग उपवन, चिड़िया गाये राग मनोहार। सावन आया रे !सजनी सावन आया।। कभी-कभी घनघोर घटाओं का खूब बरसना, प्रकृत का धूल कर निखरना। रमणीक होता है कुदरत का उपहा
रोचक छंद "फागुन मास" फागुन मास सुहावना आया। मौसम रंग गुलाल का छाया।। पुष्प लता सब फूल के सोहे। आज बसन्त लुभावना मोहे।। ये ऋतुराज बड़ा मनोहारी। दग्ध करे मन काम-संचारी।। यौवन भार लदी सभी नारी। फागुन के रस भीग के न्य
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