Shikshak Karein Vichaar
2आओ शिक्षक दिवस पर, प्रण करलें हम आज।
गुरुओं के सम्मान को, करता रहे समाज।।
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ज्ञानदायिनी मात के, सत् गुरु होते दूत।।
देते हैं उस ज्ञान को, जो होता अनुभूत।।
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जो रचते साहित्य को, उनका होता नाम।
दिखलाना सन्मार्ग को, सत् गुरुओं काम।।
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जीवनभर मत छोड़ना, गुरुओं का सोपान।
हर दम होना चाहिए, गुरुओं का सम्मान।।
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गुरुओं को भी चाहिए, करें न ऐसे काम।
जिससे गरिमा ज्ञान की, हो जाये बदनाम।।
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अब तो महँगे दाम पर, घर-घर बिकता ज्ञान।
हर ऊणची दूकान का, फीका है पकवान।।
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कहाँ पढ़ाएँ पाल्य को, अभिभावक हैरान।
गली-गली में खुल गयीं, शिक्षा की दूकान।।
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शिक्षक दिन के पर्व पर, शिक्षक करें विचार।
बन्द करें अपने यहाँ, ट्यूशन का व्यापार।।