सोचा था होली तेरे साथ मनायेंगे
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सोचा था होली साथ तेरे मनायेगे
सात जनम ना सही
कुछ पल तो खुशी के तेरे साथ बितायेगे।
मैं सबको भूल जाना चाहती थी
तेरी कुछ पल की यादों से
पर अब लग रहा है
मैं तुझे ही भूलती जा रही हूं।
कभी इंतजार रहता था
तेरे वो एक इशारे का
अब तो तेरे मैसेज भी देखे नहीं जाते मुझसे।
कभी सोचा था हर एक बात बताएंगे
अब तो तू कभी कॉल ना ही करे
ऐसा मन होने लगा।
तेरा वो अनदेखा करना
मुझे जीना सिखा देगा
खुद्से मिला देगा
ऐसा कुछ भी होगा, मैने कभी सोचा ना था। मेघा रघुवंशी