हिंदी दिवस की शुभकामनाएं
0हिंदी भारतदेश की शान है, हमारी संस्कृति की पहचान है, वेद, पुराणों की गाथा है इसमें, सब भाषाओं की यह जान है। सौंदर्य रस घोलती काव्य में, माधुर्य का कराती अमृतपान है। सुशोभित है बिंदी समतुल्य, भारतशीष पर किरीट समान ह
हिंदी भारतदेश की शान है, हमारी संस्कृति की पहचान है, वेद, पुराणों की गाथा है इसमें, सब भाषाओं की यह जान है। सौंदर्य रस घोलती काव्य में, माधुर्य का कराती अमृतपान है। सुशोभित है बिंदी समतुल्य, भारतशीष पर किरीट समान ह
महिला सशक्तीकरण और महिला दिवस के सन्दर्भ में डॉ. आनंद की रचना में सोनचिरैया को नारी का प्रतीक मानकर यह बताने /संदेश देने का प्रयास किया गया है की कोरोना के लक्षण क्या और उनसे बचकर कैसे खुशियाँ (होली ) मनाकरखुशिया
दिन वही, तारिख वही, और महिना भी वही है.....! पुलवामा के शहिदों की, १४ फरवरी भी वही है......! कैसे मानाए इस दिन को हम मोहब्बत के तौर पर, हर हिन्दुस्तानी के लिए तो, मनहूस दिन भी यही है......! उजड़ा था सुहाग किसी का, बुझ गया था घर का च
How rude and selfish can they be; To not respect the gifts given to them by thee; They always keep demanding more; Don't they have satisfaction in their hearts deep core; For themselves they do everything do everything; Never thinking of other beings; They don't even dare to share; Only for their own life they care; They have no generosity or love in their deadly hand; How can they have love for their motherland; By killing at least one on every date; Can they ever have a friendly mate;
नारी के हालात नहीं बदले, हालात अभी, जैसे थे पहले, द्रौपदी अहिल्या या हो सीता, इन सब की चीत्कार तू सुन ले। राम-कृष्ण अब ना आने वाले, अपनी रक्षा अब खुद तू कर ले, सतयुग, त्रेता, द्वापर युग बीता, कलयुग में अपना रूप बदल ले। ल
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