कितनी लड़कियों के सपने छीन लेती हैं,कम उम्र में हुई उनकी शादियां। कितनी लड़कियों को आगे बढ़ने से रोक देती हैं, कम उम्र में हुई उनकी शादियां। कितनी घुटन महसूस करती होगी वो लड़किया,जिनकी हो जाती होगी कम उम्र में शा
आधुनिक शिक्षा, हुनर सिखाती है मगर संस्कार कहां दे पाती है पढ़ लिख के युवा पैसे वाला बन जाता है मगर संस्कारों की कमी के कारण अपने मां बाप को भी भूल जाता है आधुनिकता की इस चकाचौंध में लोग पैसे को ही सबकुछ मान रहे मां-ब
अरे रहने दो उनका बुरखा, चाह से करे जब वो ,खुद का धोखा, सड़ने दो उन्हें ,तुम न लड़ो , न चीखो,उनके लिए, हम भी चाहते की वो बस दबे ही रहे , ये मुस्लिम महिलाएं बेचारी भारत में दुखी, उनकी बहनें अफगान में सुखी, वाह !तालिबान की सल
हल्की सी आह निकली आग की लपटों में गुम हो गई बात कुछ नहीं थी बस, एक लड़की सदा के लिए चिता की सेज पर सो गई। किस्सा बेशक पुराना है,लेकिन दहेज का आज भी वही जमाना है जैसा भी हो आखिर रिवाज तो अपना निभाना है। बहुत कुछ दिया पि
असत्य, हिंसा और भ्रष्टों की टोली में, कौन सुनेगा मेरी बात ।। चेहरे-चेहरे से फरेबी कर रहा है । हर रिश्ते में छलावा हो रहा है । जान कर भी अनजान बने हैं हम । क्यों कि, असत्य, हिंसा और भ्रष्टों की टोली में, कौन सुनेगा मेरी