Swasth Baalak Swasth Smaaj
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स्वस्थ बालक-स्वस्थ समाज
अच्छी,नयी बात प्रिय बच्चों ! तुम को आज सुनाएँगे !
कैसे हो सुन्दर समाज यह,तुम को आज बतायेंगे !
ऊँच-नीच की प्रथा ख़त्म करने को तुम आगे आओ !
जाति-धर्म का भेद भुला कर हर बालक को गले लगाओ !
हम सब हैं सन्तान एक ईश्वर की, जो रखवाला है !
सब का ख़ून लाल रंग का है, ना नीला या काला है !
आँख-नाक और हाथ-पैर भी सब में एक समान हैं !
यह धरती है सब की माता, सब का सकल जहान है !
उसी एक परमात्मा को ही विविध रूप में जानें हम !
हो विभिन्न पूजन-पद्धति, पर वही लक्ष्य है, मानें हम !
अपने सुख को बाँटें और दूजे का कष्ट बँटाएँ हम !
चोटिल को सहानुभूति का,मरहम-प्रेम लगाएँ हम !
हम समाज के निर्माता हैं, स्वस्थ विचार बढ़ाएँगे ! हो कल्याण हमारा, सब का,वही रीति अपनाएँगे !
ज़िम्मेदारी अपनी है, हम मानव हैं, उपकार करें !
नेकी और भलाई कर के, पाप कर्म से सदा डरें !
स्वस्थ भावना, मृदु वाणी से जब सत्कर्म करेंगे ,
स्वर्ग सरीखी होगी दुनिया, हम सब देव बनेंगे !!