"कैंसे कहूँ "
0कैसे कहूँ, कि आज मैं बहुत खुश हूं, धरती से लेकर अमबर तक सब हरे-भरे खुश हैं। कैसे कहूँ.... धरती मैं आज चारों ओर खुशहाली हैं कैसे कहूँ, धरती मैं हरियाली हैं। कैसे कहूँ.... कैसे कहूँ, कि मेरा तन-मन डोलने वाला है, तुम्हें पता
कैसे कहूँ, कि आज मैं बहुत खुश हूं, धरती से लेकर अमबर तक सब हरे-भरे खुश हैं। कैसे कहूँ.... धरती मैं आज चारों ओर खुशहाली हैं कैसे कहूँ, धरती मैं हरियाली हैं। कैसे कहूँ.... कैसे कहूँ, कि मेरा तन-मन डोलने वाला है, तुम्हें पता
खड़े हुए हैं बिना थके ये रात दिवस हरियाले पेड़, कितने कितने फल देते हैं लेकिन खुद तो एक न चखते, चाहे कोई कुछ भी करता इससे तनिक न मतलब रखते। नहीं किसी की करें शिकायत मुँह पर धारे ताले पेड़। खुले गगन के नीचे पलते आतप व
कितना कुछ हमको सिखलाते सचमुच शिक्षक होते पेड़, मौन बने सब कुछ सह जाते धैर्य कभी ना खोते पेड़। धरती से उठ ऊँचे बढ़ते संघर्षों में पलते पेड़, रंग बदलती जब जब ऋतुएॅं साथ समय के ढलते पेड़। सहते धूप शीश के ऊपर छाँव और क
हरे पेड़ हैं भूमंडल पर मानव - जीवन के आधार, शुद्ध हवा का इनसे ही तो होता है जग में संचार। अगर नहीं हों हरे पेड़ तो धरती होगी रेगिस्तान, जीव जंतु का नहीं बचेगा दूर दूर तक नाम निशान। आदिकाल से देते आए पेड़ हमें सुविधा
वृक्ष _____ जीवन के आधार वृक्ष हैं ये हैं सुख के साधन, देव तुल्य हैं वृक्ष हमारे हो इनका आराधन। वृक्ष हमारे साथ रहे हैं बनकर सच्चे सहचर, साँस साँस के लिए जीव हर रहता इनपर निर्भर। पत्र पुष्प फल जड़ी बूटियाँ वृक्ष हमें
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