तुझसे दूर जाकर मैं तुमसे जुदा तो नहीं (एक ग़ज़ल)
0तुझसे दूर जाकर मैं तुमसे जुदा तो नहीं
गौर से देखो कहीं मैं बहती नर्मदा तो नहीं
पाने के लिए तुझे अपनों को कैसे छोड़ दूं
तू भी तो इंसान है कोई खुदा तो नही
दोस्तों को कैसे भुला दूं याद करके तुझे
तू भी तो दोस्त है कोई खुदा तो नहीं
टूटे हुए मेरे दिल का दर्द तुम मिटाओगे कैसे
तू भी तो मरीज है कोई खुदा तो नहीं
चोट लगने पर कैस पुकारू तुझे
तू भी गैर है कोई खुदा तो नहीं
वफा करोगे जीवन भर तुम कैसे मुझसे
तू भी तो बेवफा है कोई खुदा तो नहीं
©️ आनंद कुमार (मनीष)
पोस्ट संख्या- 16
गजल लिखने की तिथि- 16/12/2019
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