हमें ना बोलो प्रेम विरोधी
0आज वैलेंटाइन डे पर विशेषतया लिखी मेरी कविता समीक्षा हेतु सादर प्रस्तुत है शीर्षक:- हमें ना बोलो प्रेम विरोधी धरा कृष्ण की हम कान्हा के हम पहचानें गहन रास को... नमन प्रेम को, नमन नेह को, नमन चाह को नमन राग को... रक्तशिर
आज वैलेंटाइन डे पर विशेषतया लिखी मेरी कविता समीक्षा हेतु सादर प्रस्तुत है शीर्षक:- हमें ना बोलो प्रेम विरोधी धरा कृष्ण की हम कान्हा के हम पहचानें गहन रास को... नमन प्रेम को, नमन नेह को, नमन चाह को नमन राग को... रक्तशिर
SONG :- तू कहां है बसा LYRICIST :- N.K.M. [ 6377844869 ] LYRICS :- ::::::----- INTRO PART ::::::::----- समंदर मेरा तेरी बाहों से भरा, इश्क के पन्नों पर तेरा नाम सजा, तेरी दीवानगी ने दी ये कैसी सज़ा... मुझसे बिछड़ के तू कहां है बसा... ****************************** ::::::::------- CHORUS PART ::::::------- ये तो बता दे
Have you ever wandered about the dew drops, The dew that falls down from your beautiful eyes, The drop that clears all your fears from the face. That very drop Is not because you are surrounded by too many, But rather there is no one to spare for any. That drop trying to hide from outside world, Is not afraid of people seeing it flowing down, But because it doesn't want to show up for people who value it down. Let me tell you a story of it. Deep inside a cave, There was drop ready to rage. No matter how many times he fell, That drop never came
कविता: किस नाम से तुझे पुकारूँ? इस दुनिया में है जीव कितने सारे, इनमें कितनो को बुलाते है नाम से सारे। नामों का सिलसिला है कितना न्यारा, सोच भी नही सकते नामों का है इतना बड़ा पिटारा। सोच-सोच कर हूं परेशान, किस नाम से
हर रोज उस चांद में बस तुम्हारा ही दीदार करते है, सुनो न आज भी सिर्फ तुमसे ही प्यार करते है, अब तो तन्हा बैठ आसमां को निहारा करते है सारी रात, अब तो आकर चाँद सितारें भी करने लगे है मुझसे बात, रात भर जाग-जाग कर अभी भी सिर
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