विजय पर्व गणतंत्र दिवस है
0विजय पर्व गणतंत्र दिवस है
नव भारत की नव पहचान,
कोटि कोटि जनता ने पाया
अपना निर्मित नया विधान।
हुए सभी हम भारतवासी
अपनी किस्मत के निर्माता,
अंग्रेजी काले नियमों से
मुक्त हो गई भारतमाता।
बिना भेद के पाई सबने
एक अनोखी अवसर - समता,
जनता ने पहचानी फिर से
विश्व - पटल पर अपनी क्षमता।
लहर लहर कर नीलगगन में
लगा फहरने भारत का ध्वज,
एक राष्ट्र में बँधकर महकी
संप्रभुता से गर्वोन्नत रज।
जनता को सर्वोच्च समझकर
लोकतंत्र हमने अपनाया,
धर्मों से निरपेक्ष रहे हम
राष्ट्रगान को मिलकर गाया।
वीर शहीदों की कुर्बानी
व्यर्थ नहीं जाने पाएगी,
देशप्रेम की भीनी खुशबू
जन गण मन को महकाएगी।
हो सद्भाव सभी के मन में
कहीं न हो आतंकी दंगा,
अमर रहे गणतंत्र हमारा
रहे फहरता सदा तिरंगा।
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- सुरेश चन्द्र "सर्वहारा"