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बच्चों को जब भी हमनें उसूल कुछ बताए
ज़हेन ने की चालाकी, हम
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हंसते रोते, झूमते गाते कितने आते जाते लोग
रंग बिरंगी इस द
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मेरी तरह Sun भी क्या अंगड़ाई ले कर उठता है
मम्मी की गोदी में
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जितनी दुनिया देखूं, उतने सपने और सजाऊं मैं
इसके रंग आओ, अप
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पाए हैं मैने जो भी खुशियों के मौसम देता हूँ
दिल को सुकून म
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हर गुलिस्ताँ महक उठा, ज़र्रों में जान आ गई
अब्र आए आसमान प
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यादों में उनकी हमनें अब आँसू बहाना छोड़ दिया
उनकी गली मे
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उसे इतना चाहना भी एक ख़ता थी अपनी
जब जानते थे क़िस्मत बेव
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वो ना भी मिले तो क्या गम है
हसरत एक दिल की क्या कम है
वो झल
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बचपन की यादों का एक हिस्सा कमरा नानी का
अपनेपन का है अनूठ